पापा गुजर गये, लेकिन मां रेणु देवी ने हार नहीं मानी। दूसरे के घर चौका बर्तन कर परिवार का पालन पोषण कर रही है। अपने बेटे को पढ़ाया। उसकी हर खुशी का ख्याल रखा। आज वह अपने लाडले की सफलता पर फुले नहीं समा...
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